इन बातो को ध्यान में रखकर किसी भी तरह के
लक्ष्यों को पाया जा सकता है. आसानी से कुछ
भी नहीं मिलता. पर कोशिश करने से , द्रणनिश्चय से
जीत मिलती है. और यही विश्वास में आप सभी के
साथ बाँट रहा हूँ. आइये जानते है.
विश्वास #1 : जो भी होता हैं वो किसी reason के
लिए ही होता हैं.
मैं इस बात को पूरे भरोसे से कह सकता हूँ की जितने
भी महान लोग. जितने भी सफल लोग हुए है. उनमे एक
बात समान रही. उन सभी का मानना रहा हैं
की जो कुछ भी होता हैं वो किसी सटीक उद्देश्य
के लिए होता हैं. हर बात में कुछ न कुछ अच्छाई
छुपी ही होती है. चाहे वो हार हो. या जीत.
या फिर जीत से बस एक कदम दूर रह जाना. हम हमारे
पिछले कामो से जितना सिख सकते हैं उतना शायद
किसी और अनुभव से नहीं. क्योकि वो हम पर
बीती होती हैं.
हा मैं मानता हूँ की कई बार
किसी किसी परिस्तिथि में कुछ positive ढूंडना बहुत
ही अधिक कठिन होता हैं. पर फिर भी आप
अपनी परेशानी को देखे समझे. और फिर विचार करें
की क्या इसे इतना समय देना ठीक भी हैं?
आपके साथ जो कुछ भी घटता हैं. उसमे कुछ न कुछ
सिख होती ही है. हम देखते है ऐसे कई लोग हमें दिख
जाते है या हम उनके बारे में paper में पढ़ते है.
जो किसी घटनावश या accident में अपने कुछ
महत्वूर्ण अंग खों दिए. पर फिर भी वे महान कार्य कर
जाते है for example Helen Keller, जो सुन
नहीं सकती थी. बोल नहीं सकती थी और देख
भी नहीं सकती थी. पर फिर भी एक महान लेख़क और
झुजारु महिला के रूप में जानी जाती है.. या फिर
किसी को पढने के लिए संघर्ष करना पड़ा. और मेहनत
कर उसने उस समस्या को खत्म कर दिया. फिर
बच्चो के पढने के लिए NGO खोला.
मान लीजिये आप साइकिल से गिर गए है. तो ये देखे
की आप क्यों गिरे? क्या साइकिल में कोई
गड़बड़ी थी? या आप ठीक से नहीं चला रहे थे ?
या फिर किसी और की गलती से आप गिर गए. आप
निरिक्षण करके इस गलती से दोबारा बच भी सकते है.
और अधिक सावधान भी हो सकते हैं.
विश्वास #2 : failure का कोई अस्तित्व ही नहीं है
फिर से साइकिल का example ले रहा हूँ. आपने जब
साइकिल चलाना सीखी होगी तो गिरे होगे? कई
बार. पर चलाने की practise तो नहीं छोड़ दी न ?
किसी doctor को college के एडमिशन के लिए बहुत
ही tough exams और competition फेस
करना पड़ता है. कई बार पहले प्रयास में
ऐसा नहीं हो पाता. तो वे हार मानकर बैठते नहीं. वे
थोड़ी और मेहनत करते है. बुद्धिमान लोग खुद को
analyse करते है , उनसे क्या और कहा गलती हुई. और
फिर दूसरा प्रयास करते. इसी तरह IAS exams
को भी देखा जाता हैं.
कहना सिर्फ इतना है की कई बार हम लोग fail होगे
ही. अगर आप ऐसी कोई चीज़ करने जा रहे है. जो आप
करना चाहते है. पर आपको उसका अनुभव नहीं तो आप
कम से कम एक बार तो fail होगे ही. पर उस काम
को छोड़ देना. कोई समझदारी नहीं है.
हार का कोई अस्तित्व ही नहीं हैं. अस्तित्व है अनुभव
का. जो हमें मिलता है. हमारी हार से. हमें
समझाती हैं हमारी गलतिया. और गलतियों से हम
बेहतर बनते है. यदि आपसे अभी तक कुछ गलती हुई
ही नहीं. तो congrats. पर फिर शायद आपने कुछ
नया कभी try ही नहीं किया. क्योंकि अगर करते.
तो आप यक़ीनन एक बार तो fail जरुर होते.
विश्वास #3 : अपने कार्यों की ज़िम्मेदारी लें , चाहे
कुछ भी हों
बहुत ही आसन होता है. दूसरों की गलतीयाँ बताना.
दूसरों को blame करना. पर वास्तव में leader
वही होता है
जो अपनी गलतीयों की जिम्मेदारी खुद लें.
हम सभी ने ये सब शब्द सुने ही होगे:
Asides
आप जैसा करोगे वैसा ही मिलेगा
Inspirational Hindi story
एक बार एक महिला की कार ख़राब हो गयी. उसे सूझ
नहीं रहा था की क्या करें. वो बहुत ही देर तक
वहाँ वेट करती रही की कोई आकर उसकी मदद कर दे.
तभी वहाँ से एक आदमी जा रहा था. वो बहुत
ही गरीब लग रहा था और भूखा भी.
वो अपनी साइकिल से उतरा और उस महिला की और
बढ़ा. महिला बूढी थी. उसे डर लग
रहा था की कही ये आदमी उसे नुकसान पहुंचाने
तो नहीं आ रहा है.
तभी वो आदमी उसकी Mercedes गाड़ी के आगे खड़े
हो गया. वो धीरे से बोला की मैडम आप
क्यों नहीं गाड़ी में बैठ जाती है. बाहर बहुत ठण्ड है.
तब तक मैं आपकी गाड़ी को देख लेता हूँ. और
मेरा नाम Bryan Anderson है।
महिला को थोड़ी शांति मिली. आदमी ने
देखा की गाड़ी का केवल टायर पंक्चर हो गया हैं. पर
उस बूढी महिला के लिए तो ये भी बड़ी problem थी.
उसने tyre बदलने का कार्य शुरू कर दिया. और कुछ
ही देर में नया टायर भी लगा दिया. अब बस उसके
nut-bolt कसने थे. तभी महिला ने खिड़की से बहार
झाँका और कहा की “मुझे अगले शहर जाना है. यहाँ से
बस गुज़र रही थी. तभी गाड़ी ख़राब हो गयी.”
उसने Bryan का बहुत ही धन्यवाद किया. उसे
पता था की अगर वो नहीं आता तो उसे
कितनी ही मुश्किलों का सामना करना पड़ता.
जल्द ही उसने टायर बदल दिया. महिला ने उससे पूछा
“तुम्हारे कितने पैसे हुए बेटा?” वो इस
समय Bryan जो मांगता उसे देने के लिए तैयार थी.
क्योकि उसने पहले ही सारी डरावनी घटनाओं के बारे
में सोच लिया था जो हो सकती थी.
पर Bryan की मदद से ऐसा कुछ नहीं हुआ.
वो उसकी आभारी थी.
पर Bryan ने ऐसा कुछ नहीं सोचा था. वो तो बस
उसकी मदद करने आया था.
उसे याद था की जिंदगी में कितनी ही बार लोगों ने
उसकी मदद की थी. और उसकी जिंदगी अभी तक ऐसे
ही चलती आई थी. निस्वार्थ मदद लेकर और मदद देकर.
उसने पैसो के बारे में कभी सोचा भी नहीं था. चाहे
उसे इनकी कितनी भी जरुरत क्यों न हो.
उसने कहा ” मुझे आपके पैसे नहीं चाहिए मैडम, पर अगर
आपको अगली बार ऐसा कोई व्यक्ति दिखे जिसे
आपकी सहायता की जरुरत हो. तो उस समय
कभी पीछे मत हटीयेगा. तब आप मुझे याद करके मदद
कर देना. जिंदगी ही आखिर सहयोग पर टिकी हैं. ”
ये कहकर वो चला गया. और महिला भी अपने सफ़र पर
चल दी. रास्ते भर वो यही सोचती रही की ऐसे
भी लोग होते है जो निस्वार्थ भाव से अनजाने
लोगों की मदद कर जाते हैं.
थोड़ी रात को वो एक पेट्रोल पंप के पास से गुजरी.
पास ही में एक होटल भी था. उसने सोचा की कुछ
खाने के बाद बाकि का सफ़र तय किया जाए.
बाहर बारिश हो रही थी. जब वो होटल में गयी.
तो एक लड़की , जो करीब 26-28 की होगी,
अपनी प्यारी मुस्कान के साथ उसके पास आई. और
उसे अपने बाल पोछने के लिए टॉवेल दिया.
उस लड़की की मुस्कान बनावटी नहीं थी.
बूढी महिला ने देखा की वो लड़की करीब 8 month
की pregnant थी.
उसे देखकर हैरानी हुई की इस हालात में
वो अपनी परेशानियों की परवाह किये बगेर कैसे उसके
और बाकि customers के साथ इतना अच्छा व्यवहार
कर रही हैं.
और तभी उसे ब्रायन की याद आई.
बूढी महिला ने उसे अपना आर्डर दिया. और खाने के
बाद bill आने पर पैसे 100 डॉलर उसे दे दिए.
जब लड़की बाकि के पैसे लौटाने आई.
तो वो महिला वहां नहीं थी. वो सोचने
लगी की कहाँ जा सकती है.
तभी उसे टेबल पर पड़े napkin पर कुछ लिखा मिला. उसे
पड़कर उसकी आँखों में आंसू आ गए.
उसमे लिखा था , ” तुमे ये पैसे रख लों. कभी किसी ने
मेरी भी मदद की थी. और अब मेरा फ़र्ज़ बनता है
की मैं तुम्हारी मदद करू. मेरी बस यही विनती है
की तुम इस चैन को यही मत टूटने देना. इसे आगे बढ़ाना.
जरूरतमंद की मदद करना …”
और इसके साथ ही 400 डॉलर और रखे हुए थे.
वो महिला का शुक्रिया करने लगी. उसे और उसके
पति को इन पैसो की सख्त जरुरत थी. क्योंकि अगले
महीने ही उनके यहाँ बच्चे की संभावना थी…
वो होटल का सारा काम करके घर पर लौटी.
और बिस्तर पर आकर अपने पति के पास लेट गयी. उसे
ख़ुशी थी की अब उन्हें ज्यादा चिंता करने की जरुरत
नहीं हैं. उसके पति कई दिनों से परेशान थे.
उसने अपने पति के गालो को धीरे से चुमते हुए कहा, ”
सब कुछ ठीक हो जायेगा. I love you Bryan
Anderson. ”
एक पुरानी कहावत हैं. ” जैसा हम करते है वैसा ही हमें
मिलता हैं … “
बनना है तो एक पेन्सिल की तरह बनो
पेन्सिल की कहानी
एक बालक अपनी दादी मां को एक
पत्र लिखते हुए देख रहा था।
अचानक उसने अपनी दादी मां से पूंछा,
” दादी मां !” क्या आप मेरी शरारतों
के बारे में लिख रही हैं
? आप मेरे बारे में लिख रही हैं , ना ”
यह सुनकर उसकी दादी माँ
रुकीं और बोलीं , ” बेटा मैं लिख तो
तुम्हारे बारे में ही रही हूँ ,
लेकिन जो शब्द मैं यहाँ लिख रही
हूँ उनसे भी अधिक महत्व इस पेन्सिल का
है जिसे मैं इस्तेमाल कर रही हूँ।
मुझे पूरी आशा है कि जब तुम बड़े हो जाओगे तो
ठीक इसी पेन्सिल की
तरह होगे। ”
यह सुनकर वह बालक थोड़ा चौंका
और पेन्सिल की ओर ध्यान से देखने लगा,
किन्तु उसे कोई विशेष बात
नज़र नहीं आयी। वह बोला , ”
किन्तु मुझे तो यह पेन्सिल बाकी
सभी पेन्सिलों की
तरह ही दिखाई दे रही है।”
इस पर दादी माँ ने उत्तर दिया ,
” बेटा ! यह इस पर निर्भर करता है कि तुम चीज़ों
को किस नज़र से देखते हो। इसमें पांच ऐसे गुण हैं , जिन्हें
यदि तुम अपना लो तो तुम सदा
इस संसार में शांतिपूर्वक रह सकते हो। ”
” पहला गुण : तुम्हारे भीतर
महान से महान उपलब्धियां प्राप्त करने की
योग्यता है , किन्तु तुम्हें यह कभी
भूलना नहीं चाहिए कि
तुम्हे एक ऐसे हाथ की आवश्यकता
है जो निरन्तर तुम्हारा मार्गदर्शन करे। हमारे
लिए वह हाथ ईश्वर का हाथ है जो सदैव हमारा
मार्गदर्शन करता रहता है। ”
“दूसरा गुण : बेटा ! लिखते ,
लिखते, लिखते बीच में मुझे रुकना पड़ता
है और फ़िर कटर से पेन्सिल की नोक
बनानी पड़ती है। इससे पेन्सिल को थोड़ा
कष्ट तो होता है , किन्तु बाद में यह काफ़ी
तेज़ हो जाती है और अच्छी
चलती है। इसलिए बेटा ! तुम्हें भी
अपने दुखों , अपमान और हार को बर्दाश्त करना आना
चाहिए, धैर्य से सहन
करना आना चाहिए। क्योंकि ऐसा
करने से तुम एक बेहतर मनुष्य बन जाओगे। ”
” तीसरा गुण : बेटा ! पेन्सिल हमेशा गलतियों को
सुधारने के लिए रबर का प्रयोग करने की
इजाज़त देती है।
इसका यह अर्थ है कि यदि हमसे कोई गलती
हो गयी तो उसे सुधारना
कोई गलत बात नहीं है। बल्कि ऐसा
करने से हमें न्यायपूर्वक अपने लक्ष्यों की
ओर निर्बाध रूप से बढ़ने में मदद मिलती है। ”
” चौथा गुण : बेटा ! एक पेन्सिल की
कार्य प्रणाली में मुख्य भूमिका इसकी
बाहरी लकड़ी की
नहीं अपितु
इसके भीतर के ‘ग्रेफाईट ‘ की
होती है। ग्रेफाईट या
लेड की गुणवत्ता जितनी
अच्छी होगी ,लेख उतना
ही सुन्दर होगा। इसलिए बेटा !
तुम्हारे भीतर क्या हो रहा है ,
कैसे विचार चल रहे हैं , इसके प्रति सदा सजग रहो। ”
“अंतिम गुण : बेटा ! पेन्सिल सदा अपना निशान छोड़ देती
है। ठीक इसी
प्रकार तुम कुछ भी करते हो तो तुम
भी अपना निशान छोड़ देते हो।
अतः सदा ऐसे कर्म करो जिन पर तुम्हें लज्जित न होना
पड़े अपितु तुम्हारा और तुम्हारे परिवार का सिर
गर्व से उठा रहे। अतः अपने प्रत्येक कर्म के प्रति
सजग रहो। “
ऊपरी सौन्दर्य की ओर न जाये
एक बार एक बहुत ही प्रसिद्द वक्ता एक सेमिनार में
आये. और अपने जेब में से 500 रुपये का नोट निकला.
और सामने बैठे 200 लोगों से पूछा की ये 500 का नोट
कौन कौन चाहता हैं. करीब करीब सभी के हाथ ऊपर
उठ गए.
फिर उन्होंने कहा की मैं अंत में ये 500 का नोट
किसी को दूंगा. पर उसी पहले मुझे ये करने दीजिये.
और फिर वक्ता ने 500 के नोट को बहुत मोड़ दिया.
और फिर पूछा “कौन कौन अभी भी इसे चाहता है ?”
अभी भी हवा में हाथ उठे हुए थे. उन्होंने कहा , “ठीक
है. क्या होगा अगर?” और फिर उस नोट को जमीन पर
पटककर उसे अपने जूतों से मसला.
“अब कौन कौन इस नोट को चाहता है ?”
अभी भी हवा में हाथ उठे हुए थे. फिर वक्ता ने
कहना प्रारंभ किया, ” मैंने इस नोट को कुछ
भी किया हो. पर आप इस नोट को तब भी चाहते थे
क्योंकि इसकी value नहीं गिरी थी. इसका मूल्य
अभी भी 500 रुपये ही हैं.
इसी तरह हम जिंदगी में कई बार ठोकरे खाते है,
गलती करते है , गिरते है , कई बार हमारी खुद की वजह से
तो कई बार परिस्तिथियों की वजह से.
हम सोचते है की हम किसी कम के ही नहीं है. पर हमें
चाहे कुछ भी हुआ हो. या कुछ भी हो जाए. हमारी
value कभी नहीं गिरेगी. चाहे गंदे हो या साफ़ हो.
बिखरे हुए हो , या सहज हो. आपकी value
कभी नहीं गिरेगी. और उन लोगों के लिए तो बिलकुल
भी नहीं. जो आपको बहुत प्यार करते है. ”
इसलिए दुखी मत होइए गलती सभी से होती है. और
आगे बढ़ कर बेहतर बनिए.